vineet singh

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यादों की रफ़्तार

हम सबको चलती गाड़ी की खिड़की से बाहर ताकना पसंद है। गाड़ी के रफ्तार पकड़ते ही, जैसे ही मुँह पर हवा पड़ती है, मनुष्य दार्शनिक बन जाता है। तेजी से छूटते पेड़-घर जीवन में पीछे रह गए हर व्यक्ति को जिंदा कर देते हैं। आपको खूबसूरत दृश्य दिखता है, पर गाड़ी नहीं रुकती। और आपको कौंधता है कि उस फलां खूबसूरत व्यक्ति का चले जाना भी। आपकी गलती नहीं है। गाड़ी किसी की सुनती भी कहाँ है बस चलती जाती है।

मोटरसाइकिल  पर बैठ कर हवा खाते हुए मेरे मन में कुछ ऐसा ही चल रहा है। पर सब खाली सा और सफेद, एकदम सपाट। सड़क पर चलती सफेद मोटरसाइकिल पर मन सफेद तो नही है, पर चलती गाड़ी मे उसके साथ बैठकर सफर करने का सपना देखना, बहुत याद आता है।

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7 Comments

Miss Lipsa

01-Sep-2021 10:21 AM

Wow

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Kumawat Meenakshi Meera

31-Mar-2021 01:01 PM

Nice

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kapil sharma

27-Jan-2021 10:20 AM

achcha likha aapne

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